मेलेनिया के आने से हैप्पी हुई हैप्पीनेस पाठ्यक्रम बनाने वाली टीम, श्रवण ने ऐसे जताई खुशी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी और अमेरिका की फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप ने दिल्ली के स्कूल में ‘हैप्पीनेस क्लासेस’ को सराहा तो इसका पाठ्यक्रम तैयार करने वाली टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे गोरखपुर के श्रवण शुक्ला का उत्साह कई गुना बढ़ गया। श्रवण ने कहा कि इस पाठ्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली यह पाठ्यक्रम बनाने वाली टीम में शामिल रहे एक-एक सदस्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि इस टीम में 20 लोगों ने कड़ी मेहनत की थी।
मेलानिया ट्रंप ने नानकपुरा में दिल्ली सरकार के एक स्कूल का दौरा किया। उनहोंने बच्चों के साथ बातें कीं और क्लासरूम में गेम्स खेले। मेलानिया इस दौरान काफी खुश दिख रही थीं। इसके बाद वह आरके पुरम स्थित सर्वोदय सहशिक्षा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 'हैप्पीनेस क्लास' देखने भी गईं। मेलेनिया के इस दौरे की वजह से पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की हैप्पनेस क्लासेस चर्चा में थीं।
इन हैप्पीनेस क्लासेस की सफलता में गोरखपुर का भी योगदान है। शहर के झरना टोला निवासी श्रवण शुक्ल ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह पिपराइच के चिलबिलवा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक तैनात थे। 2016 में प्रतिनियुक्ति पर गए श्रवण इस समय ‘सेल फॉर ह्यूमन वैल्यू एंड ट्रांसफार्मेटिव लर्निंग’ (सीएचवीटएल), एससीईआरटी दिल्ली के सदस्य हैं।
मोबाइल पर हुई बातचीत में श्रवण शुक्ल ने बताया कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की पहल पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लागू हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के तहत नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों का रोज पहला पीरियड यानी 40 मिनट हैप्पीनेस के लिए होता है। बच्चों को पहले सहज किया जाता है। उन्हें ज्ञानवर्धक, मानव से मानव और मानव-प्रकृति के बीच के सम्बन्धों और निर्वाह किये जाने वाले मूल्यों पर आधारित कहानियां दिलचस्प अंदाज में सुनाई जाती हैं।
इसके बाद इन पर चर्चा होती है। गतिविधियां कराई जाती हैं। इसमें बच्चे को परीक्षा नहीं देनी होती है बल्कि बच्चे स्व मूल्यांकन करते हैं। सप्ताह के आखिरी दिन विद्यार्थियों को अपने भावों को व्यक्त करने का अवसर दिया जाता है। वे अपने जीवन में आ रहे सकारात्मक बदलावों को भी साझा करते हैं। श्रवण शुक्ल के मुताबिक इस पाठ्यक्रम के लागू होने के बाद बच्चे पढ़ाई में पहले से ज्यादा ध्यान लगा रहे हैं। अपने माता-पिता और अध्यापकों की पहले से ज्यादा इज्जत कर रहे हैं। साथ ही तनावमुक्त होकर पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं। दो जुलाई 2018 को बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने इस पाठ्यक्रम को लॉच किया था।
श्रवण ने कहा कि वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2017 के अनुसार 155 देशों में भारत का 122 वां स्थान है। 2018 में यह स्थान गिरकर 133 वां और 2019 में 140 वें तक खिसक गया। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम अस्तित्वमूलक मानव केन्द्रित चिंतन (मध्यस्थ दर्शन) पर आधारित है। इस दर्शन के प्रणेता ए.नागराज के अनुसार जब कोई व्यक्ति स्वयं में और बाहरी संसार के साथ समन्वय स्थापित कर लेता है तो वह संघर्षविहीन होता है। सामंजस्य से जीता है। हैप्पीनेस पाठ्यक्रम के तहत ऐसी ही स्थिति को सतत तथा स्थाई बनाए रखने की कोशिश की जाती है।