पद्मश्री मनोज जोशी के अभिनय ने दर्शकों को मोहा
राष्ट्र और समाज की उन्नति के पथ में यदि धर्म बाधक है तो धर्म भी त्याज्य है। राजा होना सुखी होने का मार्ग नहीं है स्मरण रहे।' यह चाणक्य नाटक के संवाद रहे जिसे शनिवार को पीयू के सभागार में बड़े ही रोचक अंदाज में प्रख्यात कलाकार पद्मश्री मनोज जोशी में प्रस्तुत किया।
उन्होंने चाणक्य के अखंड भारत के सपने को बताया। पुराने समय में जब भारत जब खंड-खंड में बंटा हुआ था चाणक्य ने भारत को एकजुट किया था। चाणक्य अपने दृढ संकल्प से चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाया।
दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार द्वारा आयोजित ज्वलंत ऐतिहासिक हिन्दी नाटक चाणक्य की प्रस्तुति प्रख्यात रंगकर्मी और अभिनेता पद्मश्री मनोज जोशी ने की। नाटक में 25 कलाकारों की टीम ने चार चांद लगा दिए।
पद्मश्री मनोज जोशी ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के महानायक चाणक्य के व्यक्तित्व को बड़ी कुशलता से प्रस्तुत किया। उनके संवादों ने दर्शकों को बांधे रखा। कलाकार वेशभूषा और रंगकर्म से दर्शकों के सामने चाणक्य को सजीव कर दिया। जनपद में पहली बार विश्व प्रसिद्ध हिन्दी नाटक चाणक्य का मंचन हुआ।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा राजाराम यादव ने दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डा. आशीष गौतम को अप्रतिम नाटक आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया। डा. आशीष गौतम ने दिव्य प्रेम सेवा मिशन के उद्देश्यों के साथ अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताया। विधायक हरेंद्र प्रसाद सिंह ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन डा. नंदलाल सिंह ने किया।